Intezaar
Intezaar by Harry Goswami इंतज़ार ! उसके और मेरे दरमिया शायद ही , कुछ रह गया था जो चल रहा था (x2) । उसकी याद कभी-कभी उठा देती है मुझे सवेरे ।। हमारे बीच सब कुछ खत्म हो गया है, या फिर कुछ चल रह है (x2) । जो भी है , मुझे सब पता चल रहा है ।। उसे मोहब्बत हो गई है, अब किसी और से (x2) । मेरा हाल तो ठीक नहीं पर उसका अच्छा चल रहा है ।। मोहब्बत हो गई , है ना - तो फिर बताओ तुम उसकी आंखों के बारे में क्या जानते हों (x2) । चल छोड़ो ये बताओ तुम उसे मानना तो जानते हो ।। उसके लिए मैंने ज्यादा कुछ भी लिखा है , के जिस दिन से तुम्हे खुद से दूर कर है । उस दिन से – सोना , खाना, दोस्त , यार , सब दूर कर दिए है मैने ।। मैने एक दफा कोशिश करी थी, तुझे वापिस लाने की – (x2) पर तुम्हे उसकी बाहों से फुरसत ही कहा थी । फीका हो गया है , मेरे लिए सब कुछ . (x2) अब किसी से मिलने की हिम्मत बाकी नही है ।। " जब कभी तुम्हे वक्त मिले तो मुझे याद कर लेना, तुम्हे अच्छा लगेगा ।। " तुझे खुद से दूर जाने को मैने ही कहा था मुझे याद है . पर मैने